सनातन धर्म में पितृ पक्ष को महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष की अवधि 16 दिनों तक चलती है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की उपासना कर पिंडदान करते हैं। देव नगरी गया में पिंडदान (Pind Daan History) किया जाता है। क्या आपको पता है कि गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान (Pind Daan Significance)। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
ये है वजह
पौराणिक कथा के अनुसार, गयासुर नाम का एक असुर था। वह श्रीहरि की भक्ति बहुत करता था। उसने अपनी भक्ति के द्वारा भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और सभी देवी-देवताओं से बहुत पवित्र होने का वरदान प्राप्त किया। माना जाता है कि प्राचीन समय में गयासुर के दर्शन करने से जातक को सभी पापों से मुक्ति मिलती थी। उसे मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी। इससे स्वर्ग में अव्यवस्था फैल गई। ऐसा देख सभी देवी-देवता चिंतित होने लगे। इस स्थिति में देवी-देवताओं ने गयासुर (Pind Daan in Gaya) से किसी पवित्र जगह पर यज्ञ करने की इच्छा जाहिर की।
भगवान विष्णु हुए भाव विभोर
इस बात को सुनकर गयासुर गया जी में भूमि पर लेट गए और इसी जगह पर देवी-देवताओं ने गयासुर के शरीर पर विधिपूर्वक यज्ञ किया। यज्ञ के दौरान गयासुर का शरीर स्थिर रहा। ऐसा देख सभी देवता श्रीहरि के पास पहुंचे। गयासुर की भक्ति से मुक्ति दिलाने की इच्छा जताई।
तभी विष्णु जी गयासुर के शरीर पर विराजमान हो गए। इस दौरान प्रभु ने गयासुर से वर मांगने के लिए कहा। गयासुर ने बोला कि आप अनंत काल तक इस स्थान पर विराजमान रहें। इस बात को सुनकर प्रभु उसके भाव में डूब गए और गयासुर का शरीर पत्थर में बदल हो गया।